Target IAS 2016 - सही रणनीति और लगन से सच करें सपने




भले ही आज हमारे देश में कॅरियर ऑप्शन के रूप में युवाओं के पास कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी भारतीय प्रशासनिक सेवा की प्रतिष्ठा आज भी उतनी ही बरकरार है जैसी पहले थी, देश में लाखों युवा हर साल सिविल सर्विस के अपने सपने को साकार करने के लिए परीक्षा में शामिल होते हैं लेकिन कहते हैं कि सफलता उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान और हौसलों में उड़ान होती है। देश की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता के लिए किस तरह से युवा अपनी नीतियां बनाकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। सिविल सेवा जितनी आकर्षक है, इस परीक्षा में सफल होना उतना ही चुनौतीपूर्ण है। देश भर से सुयोग्य व महत्वाकांक्षी युवा इस परीक्षा में बैठते हैं, परन्तु सफलता कुछ लोगों के हाथ ही लगती है। अभ्यार्थियों की विशाल संख्या इस प्रतियोगिता को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाती है तथा योग्यतम का चुनाव करती है। यह परीक्षा कुछ इस प्रकार है कि इसमें वही अभ्यार्थी सफल हो पाते हैं जो सुनिश्चित रणनीति तथा योजना बना कर चलते हैं। इसीलिए आवश्यक है कि अभ्यार्थी सर्वप्रथम एक सटीक रणनीति का निर्माण करें तथा उस रणनीति के अनुरूप तैयारी को दिशा दें।


अचूक रणनीति से आसान होगा लक्ष्य
किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की तरह सिविल सेवा में भी सफलता की प्राप्ति इस बात पर निर्भर करती है कि सफलता प्राप्ति के लिये किस प्रकार की रणनीति बनाई गई है। एक अच्छी रणनीति अच्छे प्रारम्भ का द्योतक है तथा कहा भी गया है कि अचूक रणनीति के निर्माण एवं गंभीरतापूर्वक उसके अनुपालन द्वारा सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाने की सम्भावना पर्याप्त रूप से बढ़ जाती है।

वक्त के साथ रणनीति बदलने की जरूरत
सिविल सेवा परीक्षा हेतु अच्छी रणनीति वह है जो परीक्षा की प्रकृति को ध्यान में रखकर बनाई गयी हो तथा साथ ही साथ अभ्यर्थी के सकारात्मक व नकारात्मक पक्षों को भी पर्याप्त महत्व दे। रणनीति तभी अचूक कही जाएगी जब उसमें तैयारी के प्रत्येक आयाम को स्थान दिया जाए। इसके अंतर्गत लक्ष्य निर्धारण से लेकर, विषयों के चुनाव, अध्ययन सामग्री के चयन, समय प्रबंधन के महत्व, प्रभावी अध्ययन पद्धति अपनाने, उपयोगी नोट्स के निर्माण, कोचिंग संस्था का चयन, परिचर्चा को प्रभावशाली बनाने, मोक टेस्ट, पुनरावलोकन आदि सभी को उचित महत्व देना चाहिए। सिविल सर्विस क्लब के समन्वयक लक्ष्मीशरण मिश्रा बताते हैं कि पिछले कुल सालों में सिविल सर्विस की परीक्षा के पैटर्न में काफी बदलाव आया है। सवाल पूछने का पैटर्न भी बोर्ड द्वारा इस प्रकार से तैयार किया जाता है जिसमें प्रतिभागी के ज्ञान को नहीं बल्कि उसकी समझ को देखने का प्रयास किया जाता है। आशय साफ है कि अब आप सिर्फ अपने नॉलेज के सहारे नहीं बल्कि अपनी समझ के सहयोग से ही सिविल सर्विस की परीक्षा को फाइट कर सकते हैं।

यह गुण तलाशने का प्रयास
सिविल सर्विस की परीक्षा के माध्यम से देश के लिए ऐसे युवाओं को खोजने का प्रयास नए पैटर्न के माध्यम से किया जा रहा है जो समस्याओं को समझकर तुरंत निर्णय लेकर काम कर सकें इसके लिए कुछ बुनियादी बातों का खास तौर पर मूल्यांकन किया जाता है।

1. बुनियादी ज्ञान हो - देश की इस सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा के माध्यम से चुने जाने वाले युवाओं से उम्मीद की जाती है कि उन्हें अपने देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था, संस्कृति से लेकर देश-विदेश के तत्कालीन घटनाक्रमों का बुनियादी ज्ञान अवश्य हो।

2. देश-दुनिया की हो समझ - किसी भी घटना को लेकर व्यक्ति पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है जिसमें देश-दुनिया, समाज के प्रति समझ क्या है उसे जानने का प्रयास किया जाता है, इसलिए समसामयिक मुद्दों और बेसिक नॉलेज दोनों का ही होना बहुत महत्वपूर्ण है।

3. प्रतिक्रियात्मक रवैया - सिविल सर्विस में आने के बाद व्यक्ति को हर स्तर पर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में किसी भी घटना को लेकर उसकी क्या प्रतिक्रिया है। किसी भी मुद्दे पर उसके स्वयं के क्या विचार हैं। यह जानने का प्रयास किया जाता है, इसलिए समसामयिक मुद्दों पर अपने स्वयं के विचार प्रकट करने और लिखने की समझ विकसित करना जरूरी है।

4. विश्लेषण क्षमता है जरूरी - सिविल सर्विस में आने के बाद अधिकारी को समय परिस्थितियों के अनुसार तत्काल निर्णय लेना पड़ता है, इसलिए इस परीक्षा के माध्यम से व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता को जांचा जाता है। इसलिए अपनी डिसिजन मेकिंग की क्षमता को विकसित करें।

5. अभिव्यक्ति की हो क्षमता - सिविल सर्विस में आने वाले व्यक्ति की मौखिक और लिखित दोनों ही तरह की अभिव्यक्ति किसी भी मुद्दे पर स्पष्ट होनी चाहिए। ताकि वह किसी भी समस्या को पहले समझें फिर पूरे विश्लेषण के पश्चात उसका समाधान निकाल सकें, यही एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी के मुख्य गुण हैं।



किन किताबों का अध्ययन होगा उचित
देश के सबसे ज्यादा जिम्मेदार युवाओं के चयन के लिए होने वाली इस सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा के लिए अध्ययन सामग्री की आज किताबों, नोट्स और इंटरनेट पर स्टडी मटेरियल की कहीं कोई कमी नहीं है लेकिन हमें ऐसी किताबों का अध्ययन करने की आवश्यकता है जो हमें हमारी आवश्यकताओं के अनुरूप ज्ञान प्रदान करें।
कॉन्सेप्ट क्लीयर करें एनसीईआरटी बुक्स से -
अपने बेसिक क्लीयर करने के लिए प्रतिभागियों को सबसे पहले एनसीईआरटी की 8वीं से 12वीं क्लास की इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, जीव विज्ञान, रसायन शास्त्र और भौतिक शास्त्र की किताबों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए।
इन किताबों से विषय का सही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसके साथ ही कॉलेज में ग्रेजुएशन लेवल पर पढ़ाई जाने वाली किताबों का सही ढंग से अध्ययन करना आवश्यक है।
इतिहास - भारतीय स्वाधीनता आंदोलन विपिन चन्द्रा
बी.एल. ग्रोवर - आधुनिक भारत का इतिहास
भूगोल - भारत का भूगोल - बी.आर. खुल्लर, भारत एवं विश्व का भूगोल - प्रो. माजिद हुसैन।
भारतीय संविधान के लिए - हमारा संविधान - सुभाष कश्यप, डी.डी. बसु - भारत का संविधान।
भारतीय अर्थव्यवस्था - मिश्रा एवं पुरी, भारतीय अर्थव्यवस्था - दत्त एवं सुंदरम्।
सामान्य अध्ययन के लिए - नोट्स बनाने के बजाय समसामयिक मुद्दों पर अपने नोट्स बनाएं ।
प्रश्नमंच और निबंध प्रतियोगिता करेंगी मदद - यदि आपका लक्ष्य सिविल सर्विस में जाना है तो आप स्कूल लेवल पर हों या फिर कॉलेज लेवल पर क्विज कॉम्प्टीशन में हिस्सा लेने की आदत डालें, इस तरह की प्रश्नमंच प्रतियोगिताएँ आपके ज्ञान और आत्मविश्वास दोनों को बढ़ाएँगी। इसके साथ ही निबंध प्रतियोगिताओं के माध्यम से अपनी लेखन कला को समृद्ध बनाएं।

बेसिक क्लीयर करें और रेग्युलर स्टडी करें
रेग्युलर स्टडी के साथ ही बेसिक कॉन्सेप्ट क्लीयर कर सिविल सर्विस में सफलता प्राप्त की जा सकती है। न्यूज पेपर को रेग्युलर ध्यान से पढ़ने की आवश्यकता है राजनैतिक खबरों पर खास ध्यान न देकर सरकारी योजनाओं संबंधी खबरों, विज्ञान प्रौद्योगिकी, कला और साहित्य से जुड़ी खबरों, अंतर्राष्ट्रीय संबंध की खबरों को ध्यान से पढ़कर उन्हें नोट्स के रूप में नियमित सहेज कर रखें। इसके साथ ही कुरुक्षेत्र, योजना, प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद प्रेस समाचार का अध्ययन, इंडिया ईयर बुक का अध्ययन भी काफी मददगार होगा। इसके साथ ही सब्जेक्ट मटेरियल भी एक्सपर्ट की मदद लेकर सिलेक्टिव ही चूज करें इसमें इग्नू का स्टडी मटेरियल अच्छा ऑप्शन है। इन सबके साथ ही नियमित पढ़ाई बहुत जरूरी है क्योंकि सक्सेस का कोई शॉर्टकट नहीं होता है।

भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन के सपने देखने वाले युवा अपनी सही रणनीति के माध्यम से अपने सपने को सच कर सकते हैं। इस परीक्षा से जुड़ी सभी जानकारी यू.पी.एस.सी. की वेबसाइट www.upsc.gov.in पर प्राप्त की जा सकती है।

दीजिये अपने जीवन को एक नयी शुरुआत .....
और लिख दीजिये मेहनत की कलम से सफलता की एक ऐसी इबारत की जो आपको एक नयी ऊंचाइयों पर ले जाये ......

  " गगन को झुका के धरा के चरणों पर धर सकता है
     इन्सान ठान ले तो फिर क्या नही कर सकता है. "




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प्रमुख ठडी जलधाराऐं GK Trick Geograhy cold ocean currents in Hindi




Genral Knowledge से संबंधित जटिल तथ्य जिन्हें आप आसानी से याद नही रख पाते, उन तथ्यों को इस पुस्तक में बहुत ही आसान रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है !! इस पुस्तक के माध्यम से आप बहुत ही कम समय मे सामान्य ज्ञान को याद कर पायेगें !!

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भारतीय क्रिकेट से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting Facts about Indian Cricket in Hindi)




1. भारत में पहला क्रिकेट क्लब -------------
ओरिएंटलक्रिकेट क्लब,


2. पहला क्रिकेट टेस्ट मैच -------------
इंग्लैंड केखिलाफ लॉर्ड्स में जून 25,1932...



3. पहला एकदिवसीय मैच --------------
इंग्लैंड के खिलाफ लोर्ड्स में 13, जुलाई 1974



4. पहला टी -20 मैच - -----------
दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध 1 दिसम्बर 2006


5. पहला टेस्ट कप्तान - --------------
सी.के नायडू, इंग्लैंड के 1932 के दौरे के लिए

6. पहला वनडे कप्तान ---------------
अजीत वाडेकर, 1974

7. पहला वनडे जीता - ---------------
1975 में पूर्वी अफ्रीका के खिलाफ कप्तान एस वेंकटराघवन

8. पहला टेस्ट मैच जीता ---------------
------ इंग्लैंड के विरुद्ध मद्रास, 1951-52 में

9. पहला टेस्ट सीरीज जीत –
---1952 पाकिस्तान, के खिलाफ

10. भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर पहली टेस्ट सीरीज जीत --
1967-68 न्यूजीलैंड, के खिलाफ

11. विकेट लेने वाले पहला भारतीय गेंदबाज --
मोहम्मद निसार

12. अर्धशतक बनाने वाले पहला क्रिकेटर
- ---अमर सिंह

13. शतक बनाने वाले पहला क्रिकेटर
-- दक्षिण मुंबई में इंग्लैंड के खिलाफ 1933 में लाला अमरनाथ

14. टेस्ट में दोहरा शतक बनाने वाले पहला क्रिकेटर -
1955-56 में हैदराबाद में पोली उमरीगर, न्यूजीलैंड के खिलाफ223

15. टेस्ट में ट्रिपल शतक बनाने वाले पहला क्रिकेटर -
2004 में मुल्तान में पाकिस्तान के खिलाफ वीरेंद्र सहवाग, 309

16. वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले पहला क्रिकेटर
- सचिन तेंदुलकर, ग्वालियर, 24 फरवरी 2010 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 200 *.

17. टेस्ट मैच में पहली हैट्रिक
- मार्च 2001 में हरभजन सिंह

18. वनडे मैच में पहली हैट्रिक
- 1987 में न्यूजीलैंड के खिलाफ चेतन शर्मा

19. पहला क्रिकेटर विश्व कप चैम्पियनशिप जीत
- 1983 क्रिकेट विश्व कप में

20. टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रन पूरे करने वाले पहला बल्लेबाज -
सुनील गावस्कर

21. वनडे क्रिकेट में 10,000 रन पूरे करने वाले पहला बल्लेबाज
- सचिन तेंडुलकर

22. टेस्ट और वनडे संयुक्त में 100 शतक बनाने वाला पहला क्रिकेटर
- सचिन तेंदुलकर

23. एक पारी में सभी 10 विकेट लेने वाले गेंदबाज
- अनिल कुंबले, दिल्ली में पाकिस्तान के खिलाफ 10/74, 1999

24. टेस्ट क्रिकेट में 50 शतक बनाने वाला पहला बल्लेबाज
- सचिन तेंदुलकर

25. सर्वोच्च टेस्ट स्कोर
- 726/9 श्रीलंका के खिलाफ मुंबई में 2009 में

26. न्यूनतम टेस्ट स्कोर
- 42 इंग्लैंड के खिलाफ 1974 में

27. उच्चतम वनडे स्कोर
- 418/5 वेस्टइंडीज, 2011 के खिलाफ इंदौर में

28. न्यूनतम वनडे स्कोर
- 54 श्रीलंका के खिलाफ शारजाह में, 2001

29. वनडे में उच्चतम जीत मार्जिन
- 257 बरमूडा के खिलाफ वेस्ट इंडीज में, 2007

30. टेस्ट मैच में उच्चतम जीत मार्जिन
- बांग्लादेश के खिलाफ पारी और 239 रन, मीरपुर 2007





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MPPSC EXAM CALENDAR - 2016



Note - म प्र लोक सेवा आयोग ने प्रारंभिक परीक्षा 2015 हेतु नवीन तिथि 24 jan. 2016 घोषित करने का निर्णय लिया। MPPSC द्वारा हाल ही में जारी परीक्षा कैलेण्डर में प्रारंभिक परीक्षा की तिथि 20 दिसंबर घोषित की गयी थी। UPSC की मुख्य परीक्षा का आयोजन 18 दिसंबर से 23 दिसंबर तक होने के कारण यह बदलाव करने का निर्णय लिया गया हैं।




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लक्ष्य क्यों, क्या, कैसे निर्धारित करें? (Goal Setting Tips in Hindi)





नमस्कार दोस्तों!

अपने पिछले लेख में मैंने आपसे कहा था, एक सुन्दर सी डायरी खरीद कर उसमे वह सब कुछ लिखें जो आप पाना चाहते हैकब तक पाना चाहते हैं. कैसे पाना है यह सब आपको नहीं लिखना है. इस डायरी में सबसे पहले आपको पहले लक्ष्य (goals) लिखने है. बिल्कुल साफ़ साफ़स्पष्ट शब्दों में कि आप क्या-क्या प्राप्त करना चाहते हैंकब तक प्राप्त करना चाहते हैंनिर्धारित कर लीजिये. यदि आपने अपना लक्ष्य निर्धारित कर रखा हैतो सोने पर सुहागा है. परन्तु यदि आपने अब तक अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं किया हैतो भी बहुत अधिक चिंता की बात नहीं है. क्योंकि आप अब भी अपने लक्ष्य निर्धारित कर सकते है. वो कहते हैं ना कि "जब जागो तभी सवेरा". 

लक्ष्यहीन होना बिल्कुल वैसे ही जैसे कोई व्यक्ति घर से निकलेबिना यह सोचे कि उसे जाना कहाँ है. जब उस व्यक्ति ने घर से निकलने से पहले यह सोचा ही नहीं कि उसे जाना कहाँ है, तो वह घर से निकल कर क्या करेगाकहाँ जाएगानियति उसे कहाँ ले जायेगी उसे नहीं पता. दूसरी और एक और व्यक्ति घर से निकलते समय पहले से ही सोच कर निकलता है कि उसे ऑफिस जाना है तो वह घर से निकल कर ऑफिस पहुँच जाएगा. जब ऐसी छोटी बातों में लक्ष्य का होना ज़रूरी हैतो फिर हमारी लाइफ में क्यों नहींहमारी लाइफ यदि लक्ष्यहीन है तो निश्चित रूप से हमने स्वयं को नियति के भरोसे छोड़ रखा है. तो दोस्तों देखा आपने कि लाइफ में लक्ष्य क्यों आवश्यक है?

लक्ष्य होता क्या हैजवाब बहुत आसान है. लक्ष्य एक ऐसा कार्य है जिसे हम सिद्ध करने (पूरा करने) का इरादा रखते हैं. आपका लक्ष्य क्या हो यह मैं तो क्या कोई भी आपको नहीं बता सकता. आपको अपना लक्ष्य स्वयं ही बनाना हैक्योंकि हर व्यक्ति का लक्ष्य अलग-अलग होता है. एक स्टूडेंट का लक्ष्य अच्छे नम्बरों से एग्जाम पास करना हो सकता हैकिसी विशेष डिग्री को प्राप्त करना हो सकता है. किसी व्यापारी का लक्ष्य और अधिक धन कमाना हो सकता हैकोई नया व्यवसाय शुरू करना हो सकता है. नई कम्पनी खड़ी करना हो सकता है. किसी नौकरी-पेशा व्यक्ति का लक्ष्य प्रमोशन पाना हो सकता है. किसी हाउस-वाइफ का लक्ष्य कोई घरेलु व्यवसाय शुरू करना हो सकता है. वगैरा-वगैरा.

पर यह सब लक्ष्य नहीं हैं. यह सब केवल इच्छाएं हैं. यह इच्छाएं ही लक्ष्य बन सकती हैं
अगर इनमे कुछ बदलाव किये जाएँ तो. उदाहरण के लिए किसी स्टूडेंट का अच्छे मार्क्स से एग्जाम पास करने की इच्छा उसका लक्ष्य बन सकती है अगर वह यह निर्धारित करे कि उसे इस बार एग्जाम 80% या 90% या 95% मार्क्स से पास करना है. यदि कोई व्यवसायी या बिजनेसमैन ये कहता है की उसे अधिक धन कमाना है और आप उसे 500 रुपये दे कर कहें लीजिये अब आपके पास अधिक धन हो गया. तो क्या यही उसका लक्ष्य थानहीं ना. पर जब वह व्यवसायी यह कहता है कि उसे हर वर्ष 20 लाख या 50 लाख या एक करोड़ रुपये कमाने हैंतब उसकी अधिक धन कमाने की इच्छा उसका लक्ष्य बन जाती है. वह कोई नया व्यवसाय शुरू करना चाहता हैपर कब तकजब तक इस कार्य के लिए वह कोई समय सीमा निर्धारित नहीं करतातब तक यह केवल उसकी इच्छा हैलक्ष्य नहीं. अर्थात जब तक किसी भी इच्छा को स्पष्ट (specify) नहीं किया जाताउसे समय-बद्द नहीं किया जातावह केवल इच्छा है लक्ष्य नहीं.

दोस्तों अब हमें यह पता लग गया है की लक्ष्य क्या होते हैंपर क्या इस बात से हमारा काम पूरा हो गयानहीं. यदि आपने अपना लक्ष्य निर्धारित कर रखा है तब भी आपको समय समय पर उसका मूल्यांकन करते रहना हैजिससे कि उसे प्राप्त करने में आपको आसानी रहे. और यदि आपने अपना लक्ष्य अभी निर्धारित करना है तो आपको किन-किन बातों का ध्यान रखना हैयह हमें जानना है.

आपको अपना लक्ष्य निर्धारित करने में जिन बातों का विशेष ध्यान रखना है, उनमें सबसे पहले आती है स्पष्टता. आपका लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट होनाचाहिये. उसे सुनने या पढने के बाद उसे लेकर कोई संशय नहीं होना चाहिए. अगर कोई स्टूडेंट कहता है कि उसे “अच्छे मार्क्स लाने हैं ” तो ये बात स्पष्ट नहीं है कि वह किस विषय या एग्जाम की बात कर रहा है जिसमे उसे अच्छे मार्क्स लाने हैं . और अच्छे से क्या मतलब हैकिसी के लिए 100 में 60 भी अच्छा हो सकता है तो किसी के लिए 100 में से 80 भी अच्छा नहीं सकता. इसी तरह मानलो आपका लक्ष्य है एक सफल आदमी बनना. पर जब आप यह नहीं बता पायें कि किस क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं, तो आप अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्ट नहीं हैं , और जब लक्ष्य स्पष्ट ही ना हो तो उसके प्राप्त होने का सवाल ही नहीं पैदा होता.



आपका लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जिसे किसी मापा जा सके, परिभाषित किया जा सके. यानि उस लक्ष्य के साथ कोई संख्या कोई माप का पैमाना जुड़ा होना चाहिए. जैसे कि यदि कोई कहता है की उसका लक्ष्य अधिक धन कमाना है तो सवाल उठता है की कितना अधिक कमाना है? क्या उस व्यक्ति को यदि कोई 500 या 1000 रुपये और देदे, तो क्या उसका लक्ष्य पूरा हो जाएगा? नहीं नानिश्चित तौर पर उसका लक्ष्य लाखों-करोड़ों में होगा. मगर कितना? यह निर्धारित करना लक्ष्य निर्धारण में ज़रूरी है. लक्ष्य के साथ जब कोई पैमाना जुड़ जाता है, तो आप अपनी तरक्की को नाप सकते हैं, और ये जान सकते हैं की आपने अपना लक्ष्य सही तरह से प्राप्त किया या नहीं? जब तक आप अपने लक्ष्य को नाप नहीं सकते तब तक आप उसे प्राप्त नहीं कर सकते.

आपका लक्ष्य साध्य (जिसे प्राप्त किया जा सके) होना चाहिए.यदि आप कोई ऐसा लक्ष्य बनाएँगे जो आपको स्वयं ही असाध्य लगेतो ऐसे लक्ष्य का कोई लाभ नहीं है. क्योंकि जब आप कोई असाध्य लक्ष्य निर्धारित करते हैं तो आपका अवचेतन मन (sub-conscious mind) आपको तुरन्त कहेगा कि ये तो असंभव है. ऐसे लक्ष्य का कोई अर्थ नहीं है. हमारा अवचेतन मनहमारे चेतन मन से कहीं अधिक शक्तिशाली होता है. यदि आप चेतन मन से कोई असाध्य लक्ष्य बनायेंगे और अवचेतन मन आपका साथ नहीं देगा ऐसे लक्ष्य के पूरे होने के आसार तो नहीं के बराबर होंगेमान लीजिये आप यह तय करते हैंकि इस दिसम्बर तक आपको एक करोड़ रुपये कमाने हैजब कि आप अब तक कुछ हज़ार रुपये मासिक से आगे भी नहीं बढ़ पाए,तो आपका अवचेतन मन इस लक्ष्य को तुरंत नकार देगा. हाँ अगर आप एक दो लाख रुपये दिसम्बर तक कमाने का लक्ष्य रखते हैं तो आपके सफल होने की संभावना कहीं अधिक होगीदोस्तों यहाँ मैं आपको निराश नहीं करना चाहता. मेरे कहने का अर्थ है कि आप छोटे-छोटे लक्ष्य बनाते चलिएउन्हें पूरा करते चलिए और आगे बढ़ते रहिये.

इस बात का ध्यान रहे कि आपका लक्ष्य आपके लिए यथार्थवादी (realistic) होना चाहिएनहीं समझेसाध्य (achievable) और यथार्थवादी (realistic) के बीच एक बहुत हल्का सा अंतर है.आपका realistic लक्ष्य achievable हो सकता हैपर जो लक्ष्य achievable है वो realistic भी हो ऐसा ज़रूरी नहीं है. ओलंपिक्स में स्वर्ण-पदक प्राप्त करना एक achievableलक्ष्य है, पर यदि आपने अब तक प्रक्टिस नहीं की है और ओलंपिक्स में कुछ ही दिन बचे हैं तो ये unrealistic लक्ष्य होगा की आप स्वर्ण-पदक जीत पायें.लक्ष्य हमेशा अपनी क्षमता के हिसाब से बनाएंएक बात यह भी है कि कोई काम किसी अन्य व्यक्ति के लिए realistic हो सकता है, पर हो सकता है आपके लिए न हो. इसलिए आपको बहुत सावधानी से अपने लक्ष्य निर्धारित करने हैंक्योंकि इसका सीधा असर आपके विचारों और आपकी सोच और आपके भविष्य पर पड़ने वाला है.

समय-बद्धता (time-bounding) आपके लक्ष्य का एक अभिन्न अंग होना आवश्यक है. जब आप किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित कर देते हैं तभी वह लक्ष्य आपके लिए अत्यावश्यक बनता हैऔर आप उसे प्राप्त करने के लिए सही दिशा में जोश के साथ प्रयत्न करते हैं. मैं यहाँ फिर से ओलंपिक्स का उदाहरण देना चाहूंगा. ओलंपिक्स प्रतियोगिता हर वर्ष बाद होती है. हर खिलाड़ी इसी समय-सीमा को ध्यान में रख कर अभ्यास करता है. मान लीजिये आप ने एक करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य रखा है. यह कोई लक्ष्य नहीं है. पर जब आप यह कहते हैं कि इस वर्ष आपको एक करोड़ रुपये कमाने हैंया हर वर्ष कमाने हैंतो यह लक्ष्य है.

एक बार फिर जल्दी से समझ लें लक्ष्य निर्धारण में किन-किन बातों का ध्यान रखना है:
लक्ष्य हमेशा स्पष्ट होने चाहियें.
लक्ष्य मापने योग्य होने चाहियें.
लक्ष्य साध्य (achievableहोने चाहियें.
लक्ष्य यथार्थवादी (realistic) होने चाहियें.
लक्ष्य हमेशा समय-बद्ध होने चाहिए.

" दोस्तों जब आपने अपने लक्ष्य निर्धारित कर लिए तो समझ लीजिये की आपने आधी जंग जीत ली. विश्वास रखिये बाकी आधी भी जीत लेंगे. "

साभार - B.M. Agrawal Sir 



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