भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस -
भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस
की स्थापना
28 से 30 दिसंबर
1885 के मध्य
बम्बई में
तब हुई
जब भारत
की विभिन्न
प्रेसीडेंसियों और
प्रान्तों के
72 सदस्य बम्बई
में एकत्र
हुए| भारत
के सेवानिवृत्त
ब्रिटिश अधिकारी
एलेन ओक्टोवियन
ह्युम ने
कांग्रेस के
गठन में
महत्वपूर्ण भूमिका
निभाई थी|
उन्होंने पुरे
भारत के
कुछ महत्वपूर्ण
नेताओं से
संपर्क स्थापित
किया और
कांग्रेस के
गठन में
उनका सहयोग
प्राप्त किया|
दादाभाई नैरोजी,
काशीनाथ त्रयम्बक
तैलंग,फिरोजशाह
मेहता,एस.
सुब्रमण्यम अय्यर,
एम. वीराराघवाचारी,एन.जी.चंद्रावरकर
,रह्मत्तुल्ला एम.सयानी,
और व्योमेश
चन्द्र बनर्जी
उन कुछ
महत्वपूर्ण नेताओं
में शामिल
थे जो
गोकुलदास तेजपाल
संस्कृत कॉलेज
में आयोजित
कांग्रेस के
प्रथम अधिवेशन
में शामिल
हुए थे|
महत्वपूर्ण नेता
सुरेन्द्र नाथ
बनर्जी इसमें
शामिल नहीं
हुए क्योकि
उन्होंने लगभग
इसी समय
कलकत्ता में
नेशनल कांफ्रेंस
का आयोजन
किया था|
भारत
में प्रथम
राष्ट्रीय राजनीतिक
संगठन के
गठन का
महत्व महसूस
किया गया|
अधिवेशन समाप्त
होने के
लगभग एक
हफ्ते बाद
ही कलकत्ता
के समाचारपत्र
द इंडियन
मिरर ने
लिखा कि
“बम्बई में
हुए प्रथम
राष्ट्रीय कांग्रेस
ने भारत
में ब्रिटिश
शासन के
इतिहास में
एक नया
अध्याय जोड़
दिया है|
28 दिसंबर 1885 अर्थात
जिस दिन
इसका गठन
किया गया
था, को
भारत के
निवासियों की
उन्नति के
लिए एक
महत्वपूर्ण दिवस
के रूप
में मान्य
जायेगा| यह
हमारे देश
के भविष्य
की संसद
का केंद्रबिंदु
है जो
हमारे देशवासियों
की बेहतरी
के लिए
कार्य करेगा|
यह एक
ऐसा दिन
था जब
हम पहली
बार अपने
मद्रास, बम्बई,उत्तर
पश्चिमी सीमा
प्रान्त और
पंजाब के
भाइयों से
गोकुलदास तेजपाल
संस्कृत कॉलेज
की छत
के नीचे
मिल सके|इस
अधिवेशन की
तारीख से
हम भविष्य
में भारत
के राष्ट्रीय
विकास की
दर को
तेजी से
बढ़ते हुए
देख सकेंगे”|
कांग्रेस
के प्रथम
अध्यक्ष व्योमेश
चन्द्र बनर्जी
थे |कांग्रेस
के गठन
का उद्देश्य,जैसा
कि उसके
द्वारा कहा
गया,जाति,
धर्म और
क्षेत्र की
बाधाओं को
यथासंभव हटाते
हुए देश
के विभिन्न
भागों के
नेताओं को
एक साथ
लाना था
ताकि देश
के सामने
उपस्थित महत्वपूर्ण
समस्याओं पर
विचार विमर्श
किया जा
सके| कांग्रेस
ने नौ
प्रस्ताव पारित
किये,जिनमें
ब्रिटिश नीतियों
में बदलाव
और प्रशासन
में सुधार
की मांग
की गयी|
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लक्ष्य और उद्देश्य -
•
देशवासियों के
मध्य मैत्री
को प्रोत्साहित
करना
•
जाति,धर्म
प्रजाति और
प्रांतीय भेदभाव
से ऊपर
उठकर राष्ट्रीय
एकता की
भावना का
विकास करना
•
लोकप्रिय मांगों
को याचिकाओं
के माध्यम
से सरकार
के सामने
प्रस्तुत करना
•
राष्ट्रीय एकता
की भावना
को संगठित
करना
•
भविष्य के
जनहित कार्यक्रमों
की रुपरेखा
तैयार करना
•
जनमत को
संगठित व प्रशिक्षित
करना
•
जटिल समस्याओं
पर शिक्षित
वर्ग की
राय को
जानना
भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के महत्वपूर्ण अधिवेशन -
वर्ष | स्थान | अध्यक्ष |
1885 | बम्बई | डब्ल्यू सी बनर्जी |
1886 | कलकत्ता | दादाभाई नौरोजी |
1887 | मद्रास | सैयद बदरुद्दीन तैयबजी (प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष) |
1888 | इलाहबाद | जॉर्ज यूले (प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष) |
1905 | बनारस | जी के गोखले (स्वदेशी की मांग) |
1906 | कलकत्ता | दादाभाई नौरोजी (‘स्वराज’ शब्द प्रयोग) |
1907 | सूरत | रासबिहारी घोष (कांग्रेस विभाजन) |
1908 | मद्रास | रासबिहारी घोष (कांग्रेस के लिए नया संविधान) |
1916 | लखनऊ | ए सी मजूमदार (कांग्रेस का मुस्लिम लीग के साथ मिलना) |
1917 | कलकत्ता | एनी बेसेंट (प्रथम महिला अध्यक्ष) |
1923 | दिल्ली | अब्दुल कलम आजाद(सबसे काम उम्र के अध्यक्ष) |
1924 | बेलगाँव | महात्मा गांधी |
1925 | कानपूर | श्री मती सरोजिनी नायडू (प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष) |
1927 | मद्रास | एम ए अंसारी |
1929 | लाहोर | जवाहरलाल नेहरू |
1933 | कलकत्ता | श्रीमती नलिन सेनगुप्ता |
1936 | लखनऊ | जवाहरलाल नेहरू |
1937 | फैजपुर | जवाहरलाल नेहरू (पहली बार गांव में सत्र हुआ) |
1938 | हरिपुरा | सुभाषचन्द्र बोस |
1939 | त्रिपुरी | सुभाषचन्द्र बोस (बॉस का त्याग पत्र, राजेंद्र प्रसाद का अध्यक्ष बनना) |
1946 | मेरठ | जे बी कृपलानी |
1947 | दिल्ली | राजेंद्र प्रसाद |
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Thanks bahut acha but agr aap adhiveshano ko unki date v sankshep me dalte toh or bhi acha hota.
जवाब देंहटाएंमुझे आपके द्वारा बताई गई ट्रिक बहुत अच्छी लगी thanks sir
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